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Fish farming: मछली पालन शुरू करने के लिए लाखों खर्च करने की जरूरत नही, सिर्फ 10,000 रुपए की लागत से शुरू करे काम, मुनाफा होगा लाखो में

बायोफ्लॉक मछली पालन एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें टैंक में बायोफ्लॉक बैक्टीरिया और प्रोबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है।

Fish farming: मछली पालन शुरू करने के लिए लाखों खर्च करने की जरूरत नही, सिर्फ 10,000 रुपए की लागत से शुरू करे काम, मुनाफा होगा लाखो में

बायोफ्लॉक तकनीक एक ऐसी मछली पालन तकनीक है, जो कम जगह और सीमित पानी का उपयोग करके ज्यादा उत्पादन करने का मौका देती है। यह तकनीक खासकर उन लोगों के लिए वरदान साबित हो सकती है, जो मछली पालन के क्षेत्र में कम लागत में एक सफल व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं। अगर आप स्वरोजगार की तलाश में हैं, तो बायोफ्लॉक मछली पालन आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।

 

बायोफ्लॉक मछली पालन एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें टैंक में बायोफ्लॉक बैक्टीरिया और प्रोबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में मछलियों के उत्सर्जन से निकलने वाला अमोनिया हानिकारक नहीं होता, बल्कि इसे प्रोटीन में बदल दिया जाता है, जिससे मछलियों के लिए पौष्टिक चारा बनता है। इस वजह से टैंक में पानी की गुणवत्ता बनी रहती है, और इसे बार-बार बदलने की आवश्यकता नहीं होती।

बायोफ्लॉक मछली पालन के फायदे

बायोफ्लॉक सिस्टम को किसी भी छोटे क्षेत्र में स्थापित किया जा सकता है। 5,000 से 10,000 लीटर पानी के टैंक में मछली पालन संभव है।

यह अमोनिया को प्रोटीन में बदलने की प्रक्रिया से पानी की गुणवत्ता लंबे समय तक बनी रहती है। बायोफ्लॉक मछली पालन शुरू करने के लिए 10,000 से 50,000 रुपये तक का खर्च आता है।

मछली पालन में लगने वाली लागत

यह तकनीक उन लोगों के लिए भी आदर्श है, जो स्वरोजगार शुरू करना चाहते हैं। सरकार द्वारा भी इस तकनीक को प्रोत्साहित किया जा रहा है और प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) के तहत लोन सुविधा उपलब्ध है। इसके माध्यम से आप अपने खुद के व्यवसाय की शुरुआत कर सकते हैं और कम लागत में मछली पालन से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। नैनीताल स्थित डीएसबी कॉलेज के जंतु विज्ञान विभाग में बायोफ्लॉक तकनीक का उपयोग मछली पालन के लिए किया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य नैनी झील से विलुप्त हो चुकी मछली प्रजातियों को पुनर्जीवित करना है। कॉलेज के परिसर में 6 बायोफ्लॉक टैंक बनाए गए हैं, जहां पर छात्रों को इस तकनीक के बारे में जानकारी दी जा रही है।

Sandeep Verma

नमस्ते, मैं संदीप कुमार । मैं 10 साल से लगातार पत्रकारिता कर रहा हूं । मुझे खेती-किसानी के विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेत तक जुड़ी हर खबरें बताने का प्रयास करूँगा । मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं । जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर तकनीक और योजनाओ का लाभ प्राप्त कर सकें। ताजा खबरों के लिए आप खेत तक के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद

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